देखते जाइये मुंबई का इस्लामीकरण निकट है और 100% पक्का है।
आज जो दिल्ली में हिन्दुओं की हालत है उससे भी बत्तर हालत मुंबई के रहने वाले हिन्दुओं की होगी,तब शिवसेना को समझ में आएगा कि हम क्या गलती कर बैठे।
आज हालत ये है कि मुंबई के भिंवडी से लेकर मुंब्रा,मस्जिद, भायखाला, धरावी, माहीम, जोगेश्वरी, बांद्रा, कुर्ला, मलाड, मीरा रोड आदि जगहों में चारो तरफ से मुसलमानों की भंयकर आबादी बढ चुकी है।
रेलवे किनारे छोटे छोटे झुग्गी झोपड़ियां सिर्फ कठमुल्लों की है।रेलवे प्लेटफार्म के किनारे और रोड फुटपाथों के किनारे, कपडों के ठेले से लेकर ज्यूस फल,बेल्ट,चस्में रूमाल,जूते चप्पल,सब में मुसलमान लडकों का कब्जा है,वहीं आजकल रिक्शा,ऑटो,टैक्सी मुल्ले चलाते हैं,एक टाईम था जब यूपी - बिहार के लोग चलाया करते थे,हर भंगार कबाड़ी वाले व्यापारी सिर्फ मुसलमान होते हैं।
1992-1993 में मुंबई में हिन्दू मुसलमान दंगा हुआ था तब बाला साहब ठाकरे ने संभाल लिया था।उस समय मुसलमानों की आबादी भी कम थी लेकिन आज चारों तरफ चौगुना मुसलमानों की आबादी भरे पड़े हैं,यदिअब मुसलमान मारकाट में उतर आते हैं तो सबको अपनी नानी याद आ जाएगी,सारा भाईचारा का भूत उतर जाएगा।
मुसलमान मोदी से क्यों नफरत करते है?
सबसे पहले भारत मे इस्लाम और मुसलमानों की कार्यप्रणाली पर बात करते हैं।मुसलमानों का कंट्रोल मस्जिदों से होता है, जिसका मुखिया एक मौलाना होता है। देश की सभी मस्जिदों का कंट्रोल दिल्ली की जामा मस्जिद से होता है जिसके मुखिया को शाही इमाम कहा जाता है।
कोई भी सूचना देश के मुसलमानों तक पहुंचनी हो तो जामा मस्जिद का शाही इमाम उसे सभी राज्यों की मुख्य मस्जिद तक पहुंचाता है।राज्यों की मुख्य मस्जिद से जिलों की मुख्य मस्जिदों तक और फिर बांकी की सभी मस्जिदों तक वो सन्देश पहुचता है और वहां से शुक्रवार को जुम्मे की नमाज़ के बाद वो सन्देश सभी मुसलमानों तक पहुंचाया जाता है।
इसका एक ताजा उदाहरण अभी आपने देखा होगा कि पंजाब और दिल्ली में मुसलमानों का एक सौ प्रतिशत वोट केजरीवाल और उसकी पार्टी को पड़ा।
इसी तरह CAA का विरोध हो या भारत को इस्लामिक मुल्क बनाने की रणनीति हो या लव जिहाद में हिन्दू लड़कियों को फंसाकर उन्हें मुसलमान बनाने जैसी सभी योजनाएं जामा मस्जिद से ही संचालित होती हैं।मतलब भारत में इस्लामिक जिहाद की राजधानी है दिल्ली की 'जामा मस्जिद।'
अब आते हैं मुख्य मुद्दे पर कि मुसलमान भाजपा से नफरत क्यों करते हैं?ये जानना है तो आपको 1984 में जाना पड़ेगा:-
1984 में लोकसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार हुई और सिर्फ 2 सीट ही आई,एक गुजरात में मेहसाणा और दूसरी आंध्रप्रदेश में। तब के भाजपा अध्यक्ष आडवाणी जी ने भाजपा संघठन को दुरुस्त करने के लिए संघ से मदद मांगी,जिसके तहत संघ ने अपने खांटी प्रचारक नरेंद्र मोदी को गुजरात भाजपा को सौप दिया।
भाजपा अपनी खोई हुई जमीन तलाशने की जुगत में थी, नरेंद्र मोदी उस समय अहमदाबाद शहर भाजपा के संघठन मंत्री थे। और उसी समय 1985 मे अनामत आंदोलन,भीषण हिन्दू- मुसलमान दंगे में तब्दील हो गया।यही समय था, जब गुजरात हिंदुत्व के प्रयोग की लेबोरेट्री बना और मोदीजी लैब के संचालक।
निकट भविष्य में अहमदाबाद नगर निगम का चुनाव आया, जो कि हिन्दू मुस्लिम के मुद्दे पर लड़ा गया। परिणाम उस दिन से लेकर आजतक अहमदाबाद नगर निगम के चुनाव कांग्रेस 35 साल में सिर्फ एक बार जीत पाई।इस सफलता ने गुजरात में राजनीति की दिशा बदल दी।अगले 10 साल में यह हालत हो गई कि गुजरात मे मुस्लिम एम पी अहमद पटेल का जीतना तक नामुमकिन हो गया,मुस्लिम शब्द गुजरात की राजनीति में एक बोझ बन गया।नरेन्द्र भाई ने हिन्दुओं के मन मे धर्म के प्रति आस्था बढ़ाई।
इस बात के तकरीबन 16 साल बाद, 2001 में मोदी जी भाजपा की तरफ से गुजरात के मुख्यमंत्री बने और 2002 के 26 फरवरी को गोधरा में कारसेवकों को ट्रेन में जिंदा भून दिया गया, इसका जो बदला लिया गया?अभी तक हिन्दुओं के मन में जो मुस्लिमों का खौफ था, इस घटना के बाद मुसलमान खौफ में जीने लगे।यह घटना औऱ उसके बाद हुए दंगे ने गुजरात के लोगो की मानसिकता एवं भारत की राजनीति बदल कर रख दी।
इस घटना के बाद मुख्यमंत्री बने मोदी जी ने गुजरात में मुस्लिमों की दादागीरी,अवैध वसूली,बिजली चोरी,अवैध धंधे पर लगाम लगा दी।
2014 में प्रधाननमंत्री बने मोदी जी ने, सेकुलरिज्म का दिखावा,मुस्लिमो की मान्यता जैसे कि गज़वा ए हिन्द या भारत को इस्लामिक राज्य बनाना या भारत बनेगा दूसरा पाकिस्तान की मूल अवधारणा की जड़ो में कुछ इस प्रकार मठ्ठा दाल ढिया।
1.भारतीय राजनीति में मुसलमान होना एक बोझ बन गया, अगर भाजपा के प्रत्याशी के खिलाफ विपक्ष का प्रत्याशी मुस्लिम ही तो समझो मुस्लिम प्रत्याशी की हार पक्की।
2.राजकीय पार्टियों को मुस्लिम तुष्टीकरण पर लगाम लगने से मुस्लिमो का बार्गेनिंग पावर कम हो गया।
3. नोटबन्दी कर के पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चौपट कर दी।अमरीका एवं सऊदी अरब को भारत के साथ कर के भारतीय मुसलमानों को सप्पोर्ट करने वाले इको सिस्टम को तोड़ना शुरू कर दिया।
4.पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक कर के पाकिस्तान को समझा दिया कि कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे। जिससे भारत मे पाक प्रेमी मुस्लिमो की अंतड़ियों मैं ऐंठन आ गयी।
5.मोदी सरकार ने किसी भी प्रकार के मुस्लिम ब्लैकमेल के सामने झुकने से इंकार कर दिया।मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की भी छानबीन चालू कर दी,अतंकवाद पर नकेल कस दी।
6.CAA लाकर पाकिस्तान,बांग्लादेश में फंसे हिन्दुओं को इस्लाम के जुल्म की चंगुल से छुड़ाया।
7. तीन तलाक खत्म करने से मौलवियो की मुफ्त में हलाला के माध्यम से सेक्स एवम धन की उगाही पर रोक लग गई।
8.अगर NRC ठीक से लागू किया गया, तो भारतीय मतदान प्रणाली से 3-4 करोड़ घुसपैठिये दूर हो जाएंगे,जो मुस्लिम् परस्त राजनीतिज्ञ की ताबूत में आखरी कील होंगी।
9.मुस्लिमो को भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनांने का सपना टूटता नज़र आ रहा है,उनका कश्मीर से एकाधिकार खत्म हो गया और कोई चूं तक ना कर सका।
यही सब वजह है कि मुसलमान भाजपा और मोदी को पसंद नही करते।मोदीजी भी यह जानते हैं। काश हर भारतीय यह समझ जाता।
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