*सुप्रीम कोर्ट के केस की कुछ झलकियां —*
पंजाब में प्रधानमंत्री पर हुए हमले पर केंद्र की जांच को रुकवा कर संज्ञान लेते हुए अपने हाथ में जाँच ली और आज तक चुप्पी साधे बैठे है।
किसान आंदोलन पर अपनी जांच बिठाई, अपनी समिति बनाई और जब समिति ने अपनी रिपोर्ट दी तो आज 13 माह से उस पर दही जमाए बैठे है।
राम जन्मभूमि मामले में 70 साल से चुप्पी साधे बैठे रहे।
सन् 1975 में इंदिरा गाँधी ने तीन जजों के वरीयता के क्रम को ताक पर रखकर ए एन राय को प्रधान न्यायाधीश बनाया तो सुप्रीम कोर्ट बहुत एहसानमंद हुआ।
स्वयं के चार चार जज बैठकर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ प्रेस वार्ता करते रहे तो भी सुप्रीम कोर्ट (बाकी बचे हुए 27 जज) नाम की संस्था मगन रही।
*जब जब किसी आतंकी पर कार्यवाही करने की नौबत आई तो क्या किया???*
♪ चरार-ए-शरीफ में आतंकियों को बिरयानी खिलाने के आदेश हुए।
♪ यासीन मलिक के लिए पूरी रात जागे रहे।
शाहीन बाग में भीषण दंगे करने वालों के लिए यह एक एक बार भी नहीं बोल पाए कि इसे खाली कराओ।
उत्तर प्रदेश में आतंकियों के पोस्टर चिपकाने पर इनको सख्त ऐतराज था और उसे तत्काल हटाने के आदेश किए।
पश्चिम बंगाल की चुनाव की हिंसा और उसके बाद की हिंसा पर भी यह गूंगे बहरे और अंधे बने रहे।
*और—*
अब जहांगीरपुरी की सड़कों पर कब्जा किए हुए तीन पत्थर मारने वालों के लिए इतना दर्द उठा कि 15 मिनट की सुनवाई में ही दो दो बार तत्काल आदेश मोबाईल पर जारी हुए।
यह सुप्रीम कोर्ट है *या अराजकता फैलाने और भारतवर्ष का इस्लामीकरण करने का एक जरिया*।
*वर्तमान समय में देश सर्वोपरि होना चाहिए* सत्ता, देश, धर्म, संस्कार को बनाए रखने के लिए जरूरी है।
जिस अंधे दौड़ में हम जीवन जी रहे हैं *हममें से कुछ लोग मात्र सत्ता को सर्वोपरि समझ रहे हैं उनके लिए देश और धर्म नगण्य है* यदि सत्ता *योग्य व्यक्ति के हाथ में है तो* देश धर्म संस्कृति संस्कार सुरक्षित है *नहीं तो हनुमान चालीसा पढ़ने के नाम पर भी आपके ऊपर राजद्रोह*, *देशद्रोह की कानूनी धारा लग सकती है !!!!!!!!!*
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