जिस व्यक्ति ने इस्लाम की स्थापना की थी उस व्यक्ति का नाम था मोहम्मद ...
इस पैगंबर मोहम्मद के घर के सामने एक घर था जिसके अंदर एक व्यक्ति रहता था उसका नाम था अबू बकर ।
इस आबू बकर की 6 साल की बेटी थी जिसका नाम था आयशा। मोहम्मद ने एक बार आयशा को घर के बाहर खेलते हुए देख लिया मोहम्मद को आयशा बहुत भा गई । ( 78+6= 786)
मोहम्मद ने दूसरे दिन आयशा के पिता अबू बकर के पास जाकर कहा की रात को मेरे सपने में अल्लाह आए थे और अल्ला ने मुझे आदेश दिया है कि तू इस आयशा के साथ निकाह कर, तो तुम आयशा का निकाह मेरे साथ करने के लिए तैयार हो जाओ क्योंकि यह अल्लाह का आदेश है।
अबू बकर ने मोहम्मद से कहा की वो आयशा का निकाह उसके साथ करेगा पर मात्र एक शर्त पर की जब भी मोहम्मद की मृत्यु हो जाएगी तो उसके बाद पूरे इस्लाम का राज अबू बकर के हाथ में होगा।
मोहम्मद ने इसके लिए हां कर दी। अब मोहम्मद 6 साल की आयशा के साथ निकाह करने के लिए अपनी बारात लेकर जाता है उस त्यौहार को कहा जाता है "शबे बारात"
3 वर्ष के बाद जब आयशा 9 साल की हुई तब मोहम्मद ने आयशा के साथ संभोग करने की इच्छा जताई पर आयशा ने मना कर दिया।
जब तक आयशा सुहागरात के लिए नहीं मान जाती तब तक मोहम्मद ने आयशा को पूरे दिन भूखा रखने का निर्णय किया।
मोहम्मद आयशा को पूरे दिन भूखा रखता और रात को मात्र एक बार खाना देता । मोहम्मद की जो दूसरी बेगमें थी वह सभी मिलकर आयशा को समझाती की तुम सुहागरात के लिए हां कर दो ,, पर आयशा नहीं मानती है।
एक महीना बीत जाने के बाद जब आयशा भूख से बेहाल हो जाती है ,, और वह भूख सहन नहीं कर पाती तो मुहम्मद के साथ सुहागरात मनाने के लिए हां कर देती है और बीज की रात मोहम्मद आयशा के साथ सुहागरात मनाता है।
जिस बीज की रात मोहम्मद ने 9 साल की आयशा के साथ सुहागरात मनाई उस सुहागरात की खुशी में मुस्लिम ईद मनाते हैं।
मुस्लिम जो रोजा रखते हैं वो रोजा रख कर आयशा का साथ देते हैं कि ,, जैसे आयशा एक महीने तक भूखी रही थी वैसे हम भी भूखे रहेंगे और मात्र रात को एक टाइम खाना खाएंगे।
ऐसा कहा जाता है कि आयशा चांद की तरह खूबसूरत थी , तो आज के मुसलमान चांद में आयशा को देखते हैं ।
किसी महानुभाव को ,, किसी भी सेकुलर का कीड़ा काटने वाले भाई को, इस पर कुछ ज्ञान देना चाहते हो, तो स्वागत है.....
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