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कुतुबुद्दीन ऐबक घोड़े से गिरकर मरा था I लेकिन कैसे ?

  • Writer: ddmisra
    ddmisra
  • Apr 5, 2022
  • 2 min read

*कुतुबुद्दीन ऐबक घोड़े से गिरकर मरा था.....* *यह तो सब जानते हैं, लेकिन कैसे....?* ________⚘_________ वो वीर महाराणा प्रताप जी का *'"चेतक"'* सबको याद है,, लेकिन *'"शुभ्रक"'* नहीं ! तो मित्रो सुनिए... कहानी *'शुभ्रक'* की...... कुतुबुद्दीन ऐबक ने राजपूताना में जमकर कहर बरपाया, और उदयपुर के *'राजकुंवर कर्ण सिंह'* को बंदी बनाकर लाहौर ले गया। कुंवर का *'शुभ्रक'* नामक एक स्वामिभक्त घोड़ा था, जो कुतुबुद्दीन को पसंद आ गया और वो उसे भी साथ ले गया। एक दिन कैद से भागने के प्रयास में कुँवर सा को सजा-ए-मौत सुनाई गई.. और सजा देने के लिए 'जन्नत बाग' में लाया गया... यह तय हुआ कि... राजकुंवर का सिर काटकर उससे 'पोलो' खेला जाएगा ! (उस समय उस खेल का नाम और खेलने का तरीका कुछ और ही था ) कुतुबुद्दीन ख़ुद कुँवर सा के ही घोड़े 'शुभ्रक' पर सवार होकर अपनी खिलाड़ी टोली के साथ 'जन्नत बाग' में आया। 'शुभ्रक' ने जैसे ही कैदी अवस्था में राजकुंवर को देखा, उसकी आंखों से आंसू टपकने लगे। जैसे ही सिर कलम करने के लिए कुँवर सा की जंजीरों को खोला गया, तो 'शुभ्रक' से रहा नहीं गया.... उसने उछलकर कुतुबुद्दीन को घोड़े से गिरा दिया.... और उसकी छाती पर अपने मजबूत पैरों से कई वार किए, *जिससे कुतुबुद्दीन के प्राण पखेरू उड़ गए!* इस्लामिक सैनिक अचंभित होकर देखते रह गए..... . मौके का फायदा उठाकर कुंवर सा सैनिकों से छूटे और 'शुभ्रक' पर सवार हो गए। '"शुभ्रक"' ने हवा से बाजी लगा दी.. *लाहौर से उदयपुर बिना रुके दौड़ा और उदयपुर में महल के सामने आकर ही रुका ...* राजकुंवर घोड़े से उतरे और अपने प्रिय अश्व को पुचकारने के लिए हाथ बढ़ाया,,, *तो पाया,, कि.....* वह तो प्रतिमा बना खड़ा था.. उसमें प्राण नहीं बचे थे ! सिर पर हाथ रखते ही 'शुभ्रक' का निष्प्राण शरीर लुढक गया.. *भारत के इतिहास में यह तथ्य कहीं नहीं पढ़ाया जाता* क्योंकि वामपंथी और सेक्युलर लेखक ऐसी दुर्गति वाली मौत को बताने से हिचकिचाते हैं । आज के युग में इन्हें पक्के सेक्युलर कहते हैं , जिन्होंने अपने गौरव पूर्ण इतिहास को बेइज्जती के साथ लिख कर देश की जनता में परोसा है । जबकि..... *फारसी की कई प्राचीन पुस्तकों में कुतुबुद्दीन ऐबक की मौत इसी तरह लिखी बताई गई है।* परन्तु हमारे देश के सेक्युलर और वामपंथियों ने हमारे गौरवमय इतिहास को बरबाद कर रख दिये हैं । *नमन स्वामीभक्त 'शुभ्रक' को..*।। पढ़कर सीना चौड़ा हुआ हो... तो भेज देना सबकाे... *!! वन्देमातरम् , मांँ भारती की जय !!* ________⚘_______

 
 
 

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